क्या नागरिकता संशोधन अधिनियम मुस्लिम विरोधी है??

शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार द्वारा नागरिकता अधिनियम में किए गए संशोधन का कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस संशोधन के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, जैन बौद्ध, पारसी, ईसाई, सिख को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया। विपक्ष का आरोप है कि धर्म के अनुसार नागरिकता देना संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 की अवहेलना है। कई स्वयंसेवी संगठनों, विद्यार्थी संगठनों एवं विपक्ष द्वारा इसका विरोध प्रदर्शन संपूर्ण भारत में किया गया और मोदी सरकार पर पूर्ण दबाव बनाया गया कि वह इस संशोधन को वापस  ले । लेकिन सरकार भी इस पर झुकती हुई नजर नहीं आ रही। सरकार का अपना कहना है कि इससे किसी की नागरिकता छीनी नहीं जारी यह सिर्फ नागरिकता देने का प्रावधान है ना कि नागरिकता छीनने का और केवल उन अल्पसंख्यकों के लिए जिनको धर्म के आधार पर प्रताड़ित करा जा रहा है पड़ोसी देशों द्वारा। वहाँ के मुसलमानों को इसमें नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि मुसलमान वहां पर बहुसंख्यक है लेकिन अगर कोई फिर भी भारत की नागरिकता चाहता है तो उसे जो भी उसकी प्रक्रिया है उसके अंतर्गत वह आवेदन कर सकता है। विपक्ष द्वारा सबसे बड़ा मुद्दा यह उठाया जा रहा है कि सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम के द्वारा  एनआरसी की प्रक्रिया संपूर्ण भारत में करना चाह रही है जिससे कई मुसलमान भारतीय नागरिकता से वंचित हो जाएंगे और उन्हें देश से निकाल दिया जाएगा।  विपक्ष अल्पसंख्यक के बीच यह भय का वातावरण बनाने में सफल रहा है कि उन्हें भारतीय नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा और इसी कारण मुस्लिम बहुल इलाकों में इसका पुरजोर विरोध हो रहा है है । लेकिन असम में हो रहा विरोध के कुछ अलग ही कारण है है वहां के लोग असम की अस्मिता के लिए विरोध कर रहे हैं वहां की संस्कृति को बचाने के लिए विरोध कर रहे हैं हैं जहां सुप्रीम कोर्ट के द्वारा कराई गई एनआरसी की प्रक्रिया में 19 लाख लाख नागरिकों को वहां का नागरिक नहीं माना गया जिसमें लगभग 5  लाख बांग्ला हिंदू एवं 7 लाख बांग्ला मुस्लिम थे।  


आइए जानते हैं क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम -
1.  यह नागरिकता देने का प्रावधान है
2. इसमें केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है
3.  इन अल्पसंख्यकों में  6 धर्मों को शामिल किया गया है हिंदू , सिख, ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध
4.  अगर किसी और देश का नागरिक या किसी और धर्म का व्यक्ति नागरिकता चाहता है तो वह प्रक्रिया के अनुसार आवेदन कर सकता है और सरकार उस पर विचार कर सकती है कि उसे नागरिकता देनी है या नहीं


एनआरसी क्या है और क्यों इसकी जरूरत है है-
1. एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन यह एक रजिस्टर  है जिसमें भारतीय नागरिकों  का ब्यौरा होता है और पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं
2.  भारत में अभी कोई ऐसी विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है जिससे भारतीय नागरिकता का पता चल सके
3.  भारत सरकार इसके द्वारा यह पता कर सकती है कि कितने घुसपैठिए भारत में घुसे हैं
4. अगर कोई घुसपैठिए भारत में घुसे हुए हैं तो उन्हें भारत से बाहर करा जाए यही सरकार का उद्देश्य है
5. घुसपैठियों को भारत से बाहर करने का एक उद्देश्य यह भी है कि आतंकवाद पर रोक लगाई जाए 
6. नागरिकों को यह सिद्ध करना पड़ता है कि वह इस देश के नागरिक है और उन्हें अपना पहचान पत्र या कोई ऐसा डॉक्यूमेंट दिखाना पड़ता है जिससे उनकी पहचान भारतीय  नागरिक के रूप में हो सके
7. स्वयं के एवं माता-पिता के जन्म स्थान एवं जन्मतिथि संबंधित ब्योरा भी इसमें मांगा जाता है जैसा असम की एनआरसी में हुआ